Tuesday, August 31, 2010

महिला खेत पाठशाला का बारहवाँ सत्र

डा.धींगडा- सुदेश को लेंस भेंट करते हुए.
 आज मंगलवार के दिन निडाना गावँ में कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही महिला खेत पाठशाला के बारहवें सत्र में उपमंडल कृषि अधिकारी डा.पवन कुमार धींगडा ने मौके पर पधार कर महिला किसानों की हौंसला हफ्जाई की. उन्होंने स्वयं के खर्चे से इस पाठशाला की पांच ग्रुप लीडरों को उत्तम गुणवता के लेंस भेंट किये ताकि महिलाएं छोटे-छोटे कीटों की भी पहचान और बेहतर तरीके से कर सके.
इसके बाद महिलाओं ने डा. कमल सैनी व रनबीर मलिक के नेतृत्व में पिछले काम की समीक्षा तथा दोहराई की.  अपने इस
कीट अवलोकन व निरिक्षण 
चार्टों के माध्यम से प्रस्तुति.
काम की समीक्षा तथा दोहराई के दौरान बिमला व राजवंती ने बतलाया कि जिंक, यूरिया व डी.ऐ. पी. के घोल का कपास के पौधों पर गजब का  असर देखा गया. इस घोल ने जहाँ एक तरफ कपास की फसल के लिए बेहतर पोषण का काम किया वहीं दूसरी तरफ हानिकारक कीटों के लिए जहर का काम किया. इन्होने आगे बताया कि इनकी कपास की फसल बिना कोई कीटनाशक का स्प्रा किये अब तक सही चल रही है. हानिकारक कीटों की संख्या लगभग न के बराबर ही है. अब महिलाएं छ-छ के समूह में कपास के खेत में कीट अवलोकन व निरिक्षण के लिए उतरी. इन ग्रुपों का नेतृत्व सुश्री सुदेश, गीता, मीणा, राजवन्ती व अंग्रेजो ने किया. एक घंटे की मशकत के बाद इन महिलाओं ने अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसे चार्टों के माध्यम से सबके सामने प्रस्तुत किया गया. इन प्रस्तुतियों में पाया गया कि आज के दिन कपास के इस खेत में हर-तेला, सफेद-मक्खी, माईट, मिलीबग, , तेलन, भूरी पुष्पक बीटलतम्बाकू वाली सूंडी आदि हानिकारक कीट मौजूद हैं पर इन कीटों में से कोई भी कीट कपास की फसल को हानि पहुँचाने की स्थिति में नही है. दूसरी तरफ इस खेत में लाभदायक कीटों के रूप में क्राईसोपा, हथजोड़ा, लेडी-बीटल, डायन-मक्खी, लोपा- मक्खीपेंटू-बुगडा के साथ-साथ अनेकों किस्म की मकड़ियां भी पूरी तरह से सक्रिय पाई गई. महिलाओं  ने आज एक डायन मक्खी को पतंगे का शिकार करते हुए मौके पर पकड़ा. मीणा ने याद दिलाया कि सर, इस खेत में मिलीबग को नष्ट करने वाले परजीवी, अंगीरा की उपस्थिति ना के बराबर ही है. अत: इस सप्ताह राजबाला के पति कर्ण सिंह व बेटे विनोद को मिलीबग के फैलाव का ध्यान रखना चाहिए. अब इस खेत में कीट चौकसी में कोई कोताही नही रहनी चाहिए. कपास के इस खेत में प्राकृतिक संतुलन की मौजूदा स्थिति से महिलाएं कुल मिलाकर कमोबेश संतुष्ट है.
सत्र के अंत में डा.सुरेन्द्र दलाल ने कपास की फसल में होने वाली बिमारियों के बारे में विस्तार से महिलाओं को समझाया. आब व ताप की वर्तमान स्थिति को ध्यान रखते हुए कपास की फसल को बिमारियों से बचाने के लिए अब  स्ट्रेप्तोसाईक्लीन व कापर-आक्सी-क्लोराइड के घोल का स्प्रे करते रहे. एक एकड़ में स्प्रे के लिए कापर-आक्सी-क्लोराइड की मात्रा आधा किलोग्राम रखे. रणबीर मलिक ने उप मंडल कृषि अधिकारी डा. पवन धींगडा का धन्यवाद करते हुए आज के सत्र की समाप्ति की घोषणा की.










Tuesday, August 24, 2010

महिला खेत पाठशाला का ग्यारहवां सत्र

अवलोकन एवं निरिक्ष
        आज रक्षाबंधन का त्यौहार हैA कभी इसी दिन रानी कर्मवती ने हुमायूं की कलाई पर राखी बाँध कर अपने राज्य व प्रजा की सुरक्षा का वायदा लिया थाA पर निडाना की महिला खेत पाठशाला की महिलाओं ने आज कपास के खेत में पाए गये किसी भी मित्र कीट को राखी बाँध कर केवल परम्परा पुगाने की बजाय सभी मित्र कीटों की सुरक्षा] सलामती व वंशवृद्धि की कामना करके मनाया] 
सुबह ठीक नौ बजे पाठशाला की सभी महिलाएं राजबीर मलिक के पिग्ग्री फार्म पर इक्कठी हो गई थी
 मलिक साहब का यह पिग्ग्री फार्म खेत पाठशाला के लिए बहुत महत्वपूर्ण है बरसात हो या फिर लेपटोप पर स्लाईड दिखानी हो या सामान रखना हो& इस फार्म के कार्यालय को ही इस्तेमाल किया जाता है- इसी फार्म के छायादार पेड़ों के निचे बैठ कर महिलाएं अपने पिछले कार्य की दौहराई व समीक्षा करती है- आज इस सत्र की शुरुवात भी महिलाओं ने डा- कमल सैनी के नेतृत्व में यहीं की- बिमला] संतरा] सुंदर] व राजबाला ने अपनी&aअपनी  फसल की इस सप्ताह की स्थिति बारे सब को अवगत कराया- अभी तक इनमे से किसी भी महिला को कीट नियंत्रण के लिए अपनी कपास की फसल में किसी कीटनाशक के छिडकाव की जरुरत नहीं पड़ी- अपनी इस सफलता पर महिलाएं बड़ी खुश थी- महिलाओं ने अपनी इस सफलता का श्रेय मुख्य रूप से मांसाहारी कीटों को देते हुए रक्षा&aबंधन त्यौहार के इस मौके पर अपने मित्र कीटों की सुरक्षा व सलामती की सामूहिक कामना की- कसूते काम के इन मित्र कीटों की वंशवृद्धि के उपायों पर भी विचार साझे किये गये- 
इसके बाद महिलाएं एक&aaदुसरे का मुहं मीठा करवाते हुए अवलोकन व निरिक्षण के लिए कपास के खेत में उतरी- खेत में घुसते ही कपास के एक पौधे पर एक हथजोड़ा(PRAYING MANTISH) अपने दोनों हाथ जोड़े महिलाओं के स्वागत में तैयार खड़ा था- इस नजारे को देख कर महिलाएं दंग रह गयी- अंग्रेजो के मुंह से बरबस निकला कि भाई जब तू म्हारी इतनी इज्जत करै सै अर ख्याल राखै सै तो हाम भी तेरे गुण गांवांगी- फिर उसने महिलाओं से मुखापित होते हुए इस कीड़े पर एक गीत घड़ने की अपील की-
इसके बाद इन्होने अपना कीट निरिक्षण]सर्वेक्षण व् अवलोकन का काम निपटाया- नीम की छाया में बैठ कर हर ग्रुप ने अपनी&अपनी रिपोर्ट चार्टों पर त्यार की-
चार्टों के माध्यम से आज की अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए महिलाओं ने बताया कि आज के दिन राजबाला के इस कपास के खेत में चुरड़े का दूर-दूर तक कोई नामोनिशान नही.  सुदेश ने बताया कि तापमान में घटोतरी व् मित्र कीटों की मेहरबानी के चलते ऐसा संभव हो पाया है. हर तेला व् सफेद मक्खी भी नाम मात्र की ही हैं.  मिलीबग जरुर अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवा रहा है पर यह कीट भी अभी कपास की फसल में हानि पहुँचाने स्तर पर नहीं पहुंचा है.
कीट काउंट
अंग्रेजो ने बताया कि मित्र कीटों के रूप में आज इस खेत में लेडी बीटल, क्राईसोपा(ADULTGRUB & EGG)  हथजोड़ा(PRAYING MANTIS), दिखोडी(ROVE BEETLE), लोपा मक्खी(DRAGON FLY) व् छैल मक्खी(DAMSEL FLY) नजर आई हैं.  आज के दिन तो इस खेत में मकड़ियों की भी भरमार है.
आज तो इन्होने एक मकड़ी को स्लेटी भुंड का शिकार करते हुए मौके पर ही पकड़ा.  एक अन्य मकड़ी को तेले का भक्षण करते हुए भी देखा. आज के दिन तो इस खेत में गजब का प्राकृतिक संतुलन है.  काश! यह संतुलन पुरे सीजन ही बना रहे और हम गर्व से कह सके की रक्षा- बंधन की सही सार्थकता तो ये मित्र कीट ही सिद्ध कर रहे हैं हमारी फसलों को दुश्मन कीटों से बचाकर.


Tuesday, August 17, 2010

महिला खेत पाठशाला का दसवां सत्र

हाथ पर हथजोड़ा
अंगिरा - मधुर मिलन 
आज दिनांक 17 अगस्त, 2010 को महिला खेत पाठशाला का दसवां सत्र सुबह 9 :00 बजे शुरू हुआ. इस पाठशाला का आयोजन हर मंगलवार को निडाना गावँ में डिम्पल की सास के खेत में किया जाता है. पर यह भी सत्य है कि डिम्पल इस पाठशाला में अभी तक एक भी दिन नही आई.  कारण राम जानै या इसका घरवाला?  हाँ!  डिम्पल की सास राजबाला ने जरुर अब नियमित तौर पर पाठशाला की राह पकड़ी है. माँ की मार्फत ही विनोद घर बैठा कीट-साक्षरता के क. ख. घ. ड़. सिखने की कवायद कर रहा है.
 ख़ैर, आज पाठशाला के इस सत्र की शुरुवात पिछले काम की दोहराई व समीक्षा से हुई. महिलाओं ने एक-एक करके कपास की फसल में रस चूस कर हानि पहुँचाने वाले कीटों के नाम गिनवाए तथा उनकी पहचान बताई. कपास के इस खेत में अबतक पाए गये लाभदायक कीटों की समीक्षा की गई. बिमला ने बताया कि लोपा व छैल मक्खियाँ मांसाहारी कीट हैं तथा ये उड़ने वाले कीड़े अपने अंडे पानी में देते हैं. धान की फसल में खड़ा पानी इनके इस काम में खास काम आता है.
यह सुन कर रानी बोली अक जी फेर तो जीरी कि फसल में फूट के लिए डाली जाने वाली "पदान" नामक दवा इन मक्खियों के बच्चों को जरुर मारती होगी. फेर तो म्हारे गाम के गाभरू  पीले हाथ करवान के चक्कर में इस पदान गेलाँ बेमतलब हरे हाथ करें हांडे जा सै.
बिमला की बात सुनकै मनबीर मन ही मन मुस्कराया और कहने लगा अक या पदान-50 एस पी(Cartap Hydrochloride) जिसनै आपां दवा कहते हैं. दवाई कोन्या, कसुता जहर है कीड़े मारने का. इस ज़हर के पैकट पर भी लिख रखा है कि यह अन्तप्रवाही कीटनाशक धान की फसल में पत्ता-लपेट तना-छेदक कीड़ों को मारने के लिए कारगर जहर है. फेर क्यूँ किसान इस जहर को फूट वाली दवा समझते है- मेरी समझ तै बाहर है. धान की फसल में नुकशान पहुँचाने वाले पत्ता-लपेट, तना-छेदक, भुनगे-फुदके आदि कीड़ों को तो इन लोपाछैल मक्खियों के प्रौढ़ व निम्फ ही खा जाते है. पर अफ़सोस! धान की फसल में फूट करवाने के वास्ते पदान का इस्तेमाल सब क्यां ऐ का कबाड़ा कर देता है.
"खड़े तौ सा कपास की फसल में अर् छेड़ रे धान की",  कमलेश ने चिचड़ी भरने की कौशिश की.
डा.कमल सैनी- कमलेश, भूमि अर् भगवान इस दुनिया में केवल माणसां  नै ऐ बाँट रखे सै. और किसी भी जीव नै नही. मांसाहारी कीड़े हर उस फसल में जावैंगे जित इन नै अर इनके बालकां नै खान नै कीड़े पावैंगे. जै किस्से किसान नै अपनी फसल में शाकाहारी कीड़े ख़त्म कर लिए तो बता उसके खेत में यें मांसाहारी कीड़े के इसी-तीसी करवान जावैंगे. इस बात पै तो सारी महिलाएं खिल-खिलाकर हंस पड़ी.

Tuesday, August 10, 2010

महिला खेत पाठशाला का नौवां सत्र - स्थगित

निडाना में चल रही महिला खेत पाठशाला के सभी सदस्यों को अपने उत्प्रेरक रणबीर सिंह के छोटे भाई  तथा पाठशाला की शिक्षु अनीता व बिमला के देवर जसबीर की GT रोड पर सड़क दुर्घटना में हुई असामयिक मृत्यु का समाचार सुन कर गहरा सदमा पहुंचा. दुःख की इस घड़ी में सभी सदस्यगण रणबीर, अनीता, बिमला व  परिवार के साथ हैं।  इसीलिए  पाठशाला के इस नौवें सत्र को  यही समाप्त  कर सभी सदस्यों ने रनबीर के घर पहुँच कर शोक प्रकट किया.

Tuesday, August 3, 2010

महिला खेत पाठशाला का आठवां सत्र।

मरणासन-सफेद मक्खी
घोल के प्रभाव से सुस्त हुआ-स्लेटी भूंड।
इस जिले के गावं निडाना में चल रही खेत पाठशाला में आज महिलाएं,  डिम्पल के खेत में कपास के कीड़ों की व्यापक पैमाने पर हुई मौत देख कर हैरान रह गई। डिम्पल की सास से पुछताछ करने पर मालूम हुआ कि तीन दिन पहले कपास के इस खेत में विनोद ने जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. आदि रासायनिक उर्वरकों का मिश्रित घोल बना कर स्प्रे किया था। यह घोल 5.5 प्रतिशत गाढ़ा था। इसका मतलब 100 लिटर पानी में जिंक की मात्रा आधा कि.ग्रा., यूरिया की मात्रा ढ़ाई कि.ग्रा.व डी.ए.पी. की मात्रा भी ढ़ाई कि.ग्रा. थी। पोषक तत्वों के इस घोल ने कपास की फसल में रस चूसकर हानि पहूँचाने वाले हरा-तेला, सफेद-मक्खी, चुरड़ा मिलीबग जैसे छोटे-छोटे कीटों को लगभग साफ कर डाला तथा स्लेटी-भूंड, टिड्डे, भूरी पुष्पक बीटलतेलन जैसे चर्वक कीटों को सुस्त कर दिया। इस नजारे को देखकर कृषि विज्ञान केन्द्र, पिंडारा से पधारे वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक व डा. आर.डी. कौशिक हैरान रह गये। उन्होने मौके पर ही खेत में घुम कर काफी सारे पौधों पर कीटों का सर्वेक्षण व निरिक्षण किया। हरे तेले, सफेद मक्खी, चुरड़ा व मिलीबग की लाशें देखी। इस तथ्य की गहराई से जांच पड़ताल की। डा.आर.डी.कौशिक ने कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में प्रयोगों द्वारा सुस्थापित प्रस्थापनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि पौधे अपने पत्तों द्वारा फास्फोरस नामक तत्व को ग्रहण नही कर सकते।
डा. यशपाल-कांग्रेस घास के खतरे।
घोल के स्प्रे से मरणासन-हरा तेला।
            इस मैदानी हकीकत पर डा. कौशिक की यह प्रतिक्रिया सुन कर निडाना महिला पाठशाला की सबसे बुजर्ग शिक्षु नन्ही देवी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए फरमाया कि आम के आम व गुठ्ठलियों के दाम वाली कहावत को इस स्प्रे ने सच कर दिखाया, डा. साहब। इब हाम नै इस बात तै के लेना-देना अक् पौधे इस थारे फास्फोरस नै पत्ता तै चूसै अक् जड़ा तै। 
घोल के स्प्रे से सुस्त टिड्डा।
   जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव (पौधों के लिये पोषण व कीड़ों के लिये जहर) की जांच पड़ताल निडाना के पुरुष किसान पहले भी कर चुके हैं पर महिलाओं के लिये इस घोल के दोहरे प्रभाव देखने का यह पहला अवसर था।
मे-मक्खी।
पेन्टू बुगड़ा के अंडे व अर्भक।
सांठी वाली सूंडी।
सांठी वाली सूंडी का पतंगा 


घोल के स्प्रे से सुस्त-भूरी पुष्पक बीटल।
डा.यशपाल मलिक व डा. आर.डी.कौशिक  ने जिंक, यूरिया व डी.ए.पी. के इस 5.5 प्रतिशत मिश्रित घोल के दोहरे प्रभाव की इस नई बात को किसी ना किसी वर्कशाप में बहस के लिये रखने का वायदा किया। इसके बाद महिलाओं के सभी समूहों ने डा. कमल सैनी के नेतृत्व में कपास के इस खेत से आज की अपनी कीटों की गणना, गुणा व भाग द्वारा विभिन्न कीटों के लिये आर्थिक स्तर निकाले तथा सबके सामने अपनी-अपनी प्रस्तुती दी। सभी को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि इस कपास के खेत में हानिकारक कीटों की संख्या सिर्फ ना का सिर फोड़ने भर वाली है। इन कीटों में से कोई भी कीट हानि पहुँचाने की स्थिति में नही है। विनोद की माँ ने चहकते हुए बताया कि इस खेत में कपास की बिजाई से लेकर अब तक किसी कीटनाशक के स्प्रे की जरुरत नही पड़ी है। यहाँ तो मांसाहारी कीटों ने ही कीटनाशकों वाला काम कर दिया। ऊपर से परसों किये गए उर्वरकों के इस मिश्रित घोल ने तो सोने पर सुहागा कर दिया।
नए कीड़ों के तौर पर महिलाओं ने आज के इस सत्र में कपास के पौधे पर पत्ते की निचली सतह पर सिंगू बुगड़ा के अंडेअर्भक  पकड़े। राजवंती के ग्रुप ने एक पौधे पर मे-फ्लाई का प्रौढ़ देखा। पड़ौस के खेत में सांठी वाली सूंडी व इसके पतंगे भी महिलाएं पकड़ कर लाई। इस सूंडी के बारे में अगले सत्र में विस्तार से अध्यन करने पर सभी की रजामंदी हुई।
सत्र के अंत में समय की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, डा. यशपाल मलिक ने "कांग्रेस घास - नुक्शान व नियंत्रण" पर सारगर्भीत व्याखान दिया जिसे उपस्थित जनों ने पूरे ध्यान से सुना।